Chhath Puja 2025: उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा हुई संपन्न, घाटों पर उमड़ी भीड़
Chhath Puja 2025: छठ पूजा 2025 का आज आखिरी दिन है। आज के दिन उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देव की आराधना की जाती है। भक्त सूर्योदय के समय उन्हें अर्घ्य देते हैं, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है। छठ पूजा में सूर्योदय का विशेष महत्व है।
पटना, 28 अक्टूबर 2025। छठ महापर्व चार दिनों तक चलने वाला एक अत्यंत पवित्र और कठोर अनुष्ठान है। लोकआस्था के महापर्व छठ का आज समापन हो गया। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ साथ पिछले तीन दिनों से मनाया जा रहा ये पर्व आज समाप्त हो गया। ज्यादातर जगहों पर सूर्योदय हो चुका है इसलिए श्रद्धालु अर्घ्य दे रहे हैं। कमर तक पानी में जाकर छठ के व्रती सूर्य को अर्घ्य देंगे उसके बाद ठेकुआ प्रसाद के साथ व्रत का समापन होगा। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास भी खत्म हो गया। इस दिन व्रती महिलाएं जल में डुबकी लगाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और जीवन में ऊर्जा की कामना करती हैं।
घाट-घाट पर उमड़ा आस्था का सैलाब
चार दिवसीय यह पर्व 25 अक्टूबर को ‘नहाय-खाय’ के साथ शुरू हुआ था। आज 28 अक्टूबर को संपन्न हो रहा है। रांची से लेकर पटना और गोरखपुर से दिल्ली तक छठ के व्रती घाटों के किनारे जमा हैं। रात भर से मंगल गीत गाए जा रहे हैं। इस वक्त घाटों की छटा देखने लायक है। इससे पहले सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास एक अणे मार्ग पर परिवार के सदस्यों के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर छठ उत्सव में भाग लिया। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मुंगेर जिले के तारापुर स्थित अपने पैतृक आवास में पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
दिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने उगते सूर्य को दिया उषा अर्घ्य
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने छठ पूजा के आखिरी दिन उगते सूर्य को 'उषा अर्घ्य' दिया। बिहार में छठ न सिर्फ आस्था का पर्व है, बल्कि इस बार चुनावी मौसम ने इसमें राजनीति का रंग भी जोड़ दिया है। विधानसभा चुनाव के कारण कई उम्मीदवार घाटों पर पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं से जनसंपर्क साध रहे हैं।
व्रत पारण की विधि
सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रती घर लौटकर श्रद्धापूर्वक पारण करते हैं। 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद यह क्षण भक्ति और संतोष से भरा होता है। परंपरा के अनुसार, व्रत का पारण कच्चे दूध का शरबत, ठेकुआ, या गुड़-चावल की खीर खाकर किया जाता है। कुछ महिलाएं पूजा स्थल पर दीप जलाकर छठी मईया का आभार प्रकट करती हैं और फिर परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करती हैं।
पारण में इन चीजों का होता है महत्व
पारण के दौरान ठेकुआ, कसरी, खीर, फलाहार और तुलसी जल का विशेष महत्व होता है। सबसे पहले व्रती तुलसी के पत्ते से जल ग्रहण करते हैं और फिर छठी मईया को प्रणाम कर प्रसाद खाकर व्रत तोड़ते हैं।
