• हिडमा, देवजी और देवा को मिली बड़ी जिम्मेदारी, जानें क्या है माओवादी संगठन का बड़ा फैसला

    Maoist Organization: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद टूट चुका है। नक्सली संगठन में फूट के बाद बड़ी संख्या में माओवादी सरेंडर कर रहे हैं। ऐसे में माओवादी के शीर्ष नेताओं की एक सीक्रेट बैठक में बड़े फैसले हुए हैं।
    जगदलपुर, 31 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबल के जवान अभियान चला रहे हैं। नक्सल विरोधी अभियान के दौरान माओवादी संगठन के कई बड़े लीडर एनकाउंटर में मारे गए हैं। वहीं, एनकाउंटर के डर से कई बड़े नेताओं ने सुरक्षाबल के जवानों के सामने सरेंडर कर दिया है। दिवाली के दिन जहां बस्तर में जमकर आतिशबाजी हुई वहीं, नक्सली संगठन ने एक सीक्रेट मीटिंग की है। सूत्रों का दावा है कि इस मीटिंग में नक्सली संगठनों को फिर से मजबूत करने के लिए प्लानिंग बनाई गई हैं।                         सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों की यह सीक्रेट मीटिंग तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के सीमा पर नल्लामल्ला के जंगल में हुई है। यह इलाका टाइगर रिजर्व के लिए घोषित है। यहां घने जंगल है और कम आबादी वाला इलाका है। ऐसे में नक्सलियों ने इस जगह को चुना है। इस मीटिंग में दुर्दांत नक्सली हिडमा , देवजी और देवा के भी शामिल होने का दावा किया जा रहा है।

    नई जिम्मेदारियों की चर्चा
    चर्चा है कि इस बैठक में कुछ नक्सली लीडर्स की जिम्मेदारी भी बदलने जाने की रणनीति बनी है। देवजी को सेंट्रल कमेटी का प्रमुख, हिडमा को मिलिट्री कमीशन का प्रमुख, देवा को बटालियन कमांडर और दामोगर को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का इंजार्च बनाए जाने की चर्चा है। वहीं, नक्सली गणेश को पोलित ब्यूरो का मेंबर बनाया जा सकता है। लगातार कमजोर हो रहे नक्सली संगठन इन दिनों नेतृत्व के संकट से गुजर रहा है। ऐसे में यह बैठक अहम मानी जा रही है।


    सरेंडर के पक्ष में नहीं है हिडमा
    गावा किया जा रहा है कि दक्षिण बस्तर इलाके में एक्टिव कुख्यात नक्सली हिडमा सरेंडर के पक्ष में नहीं है। हिडमा के डर से कई बड़े लीडर्स भी सरेंडर नहीं कर रहे हैं। नक्सली संगठनों का मानना है कि लगातार सरेंडर के कारण ही संगठन की सीक्रेट जानकारी जवानों तक पहुंच रही है और वह कार्रवाई कर रहे हैं। ऐसे में हिडमा सरेंडर के खिलाफ है।

    बस्तर से साफ होगा नक्सलवाद
    वहीं, बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी का कहना है कि बस्तर से नक्सलवाद के पैर पूरी तरह से उखड़ चुके हैं। अब नक्सली कोई भी बैठक कर लें सुरक्षाबल के जवानों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि मार्च 2026 से पहले बस्तर नक्सलवाद से मुक्त होकर रहेगा। अब नक्सलियों के पास केवल सरेंडर ही एकमात्र विकल्प बचा है।

    क्यों बुलाई गई थी बैठक
    आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर नक्सलियों की एक सीक्रेट बैठक को लेकर दावा किया जा रहा है यह बैठक संगठन के नए नेतृत्व के गठन को लेकर बुलाई गई थी। इस बैठक में संगठन के कई शीर्ष नेता मौजूद थे, जिनमें केंद्रीय और क्षेत्रीय स्तर के जिम्मेदार पदाधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं। बीते कुछ महीनों में नक्सली संगठन के भीतर नेतृत्व को लेकर असंतोष और टूट की खबरें आती रही हैं। ऐसे में वह संगठन को एकजुट करने की कोशिश में हैं।